ना जाने क्यों रोना आया ।।
ए- मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया,
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया
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यूँ तो हर शाम मेरी उम्मीदों में
गुज़र जाती थी,
पर आज कुछ बात है जो इस शाम पे रोना
आया ||
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कभी तकदीर का मातम कभी, कभी दुनिया का गिला ,
मंज़िल- ए - इश्क में हर गम पे मुझे
रोना आया ||
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जब भी हुआ ज़िक्र ज़माने में
मोहब्बत का मेरी,
मुझको अपने दिल-ए-नादान पे रोना आया ||
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ए- मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया,
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया
||
-----०----
राज़
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